The Single Best Strategy To Use For हल्दी का नियमित सेवन करने के फायदे



● गर्भवती महिलाओं को अधिक हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए । हल्दी गर्म होती है इसके लिए उन्हें हल्दी का सेवन करना उचित नहीं । बाह्य उपचार के लिए हल्दी ठीक है। लेकिन अंतर्गत अधिक मात्रा में हल्दी पीने से गर्भपात होने का खतरा भी हो सकता है ।

• चेहरे पर निखार लाने त्वचा के मुंहासे दूर करने हल्दी का उपयोग किया जाता है हल्दी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण मुहांसों के उपचार में सहायता करता है ।

हल्दी का उपयोग आप फेसपैक और उबटन के तौर पर भी कर सकते हैं।

हल्दी अपने आप में कई गुणों से भरपूर है और जब आप इसका सेवन दूध में मिलाकर करते हैं तो इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं. हल्दी वाला दूध बनाना भी बहुत आसान है. एक गिलास दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर अच्छे से उबाल लें और फिर गुनगुना होने पर इसका सेवन करें.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

लीवर, शरीर का रासायनिक केंद्र होने के कारण शरीर में प्रवेश करने वाले रासायनिक पदार्थों के प्रोसेसिंग में लगातार काम करता है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण, संसाधित खाद्य पदार्थों में रासायनिक योजक और अन्य बीमारी की स्थिति के लिए ली गई दवाओं शामिल होती हैं।

हल्दी गॉलब्लैडर और अन्य डाइजेस्टिव एंजाइमों में पित्त के उत्पादन को बढ़ाकर आपके पाचन को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है। हल्दी सूजन के लक्षणों को कम करने और आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में मदद करती है। साथ ही साथ यह वजन घटाने में भी मददगार होती है।

हल्दी वाला दूध पीने से हड्डियां मजबूत होती है। दूध में कैल्शियम होता है जिससे शरीर मजबूत बनता है और हल्दी में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते है। जो हड्डी से संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करते है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या भी कम होती है।

फेफड़ों के रोगों में हल्दी का सेवन फायदेमंद होता है जैसे अस्थमा की समस्या। हल्दी, अस्थमा में जमे हुए कफ को दूर करने में मदद करती है जिससे अस्थमा के लक्षणों में कमी होने लगती है। इसीलिए अस्थमा के मरीजों को हल्दी के सेवन की सलाह दी जाती है.

सालों पहले जब कहीं चोट लग जाती थी तो हमारी दादी- नानी हमें हल्दी का लेप लगाने की सलाह दिया करती थीं। ऐसा इसलिए क्योंकि हल्दी एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक आैर एंटी- बैक्टीरियल गुणों वाला मसाला होता है, जो इसे बेहतरीन और प्रभावी डिसइंफेक्टेंट बनाता है। पिसी हुई हल्दी को चोट वाली जगह पर छिड़क दें, चोट जल्दी ठीक हो जाती है।

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लिवर से संबंधित समस्या में कच्ची हल्दी फायदेमंद रहती है। कच्ची हल्दी का अचार, चटनी या किसी ना किसी रूप में सेवन जरूर करे। फैटी लिवर डिजीज, लिवर की विषाक्तता, लिवर सिरोसिस की बिमारियों में कच्ची हल्दी का सेवन करना लाभदायक होता है। लिवर से जुड़ी बीमारी के मरीजों click here को हल्दी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श कर लेना चाहिए।

यह शक्तिशाली मिश्रण सदियों से आयुर्वेदिक दवाओं में एक रक्त शोधक के रूप में इस्तेमाल होता आ रहा है। रक्त में मौजूद अशुद्धियों की वजह से आपको कई समस्याएं हो सकती हैं लेकिन हल्दी वाला दूध पीना इन समस्याओं को रोकने में मदद कर सकता है। यह शरीर के हानिकारक रसायनों और विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करता है जो नियमित रूप से हमारे शरीर द्वारा उपभोग या अवशोषित किये जाते हैं। यह रक्त परिसंचरण में सुधार करता है और आपके लिवर द्वारा आपके पूरे शरीर को डिटॉक्सिफाय करने में भी मदद करता है। जब हल्दी और दूध को साथ मिलाया जाता है, तब यह जिगर के कार्यों को बेहतर बनाता है और साथ ही रक्त को शुद्ध करता है। इस प्रकार यह जिगर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और शरीर की डिटॉक्सिफाय क्षमताओं को अधिकतम करने में मदद करता है।

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